किताब: कोड काकोरी
लेखक: मनोज रंजन त्रिपाठी
शैली: रोमांच/सस्पेंस
पृष्ठ: 258
रेटिंग: 4/5
कोड काकोरी किताब से लेखक मनोज राजन त्रिपाठी जी ने साहित्यिक लेखन में पदार्पण किया है। यह उनका पहला उपन्यास, जो कि थ्रिलर एवं रहस्य से भरपूर है, लगभग 258 पृष्ठों का है। कोड काकोरी कहानी घूमती है काकोरी जगह के आस पास। क्षेत्रफल एवं आबादी की दृष्टि से तो काकोरी छोटा सा है, लेकिन यहां का इतिहास बहुत बड़ा है। जैसे काकोरी में जन्मा, बड़ा प्रख्यात “काकोरी कबाब”, 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड हुआ, और 19 दिसंबर 1927 को रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी दी गई थी। इस वजह से यह जगह ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी प्रसिद्ध है। लेखक ने कहानी को इस तरह पिरोया है, कि कहानी के धागे वर्तमान समय में चलते हुए, अतीत के धागों से कुछ मेल खाते एवं गूथे हुए नज़र आते हैं।
लेखन की दृष्टि से मनोज जी ने इस उपन्यास को काफ़ी रोमांचक एवं दिमाग के घोड़ों को चुस्त दुरुस्त करने लायक लिखा है। कहानी कब शुरू होकर कब ख़त्म हो जाती है पता ही नहीं चलता। लेखन का जो प्रवाह है, वह इसकी विशेषता है। जिस प्रकार नदी जब पर्वत से निकलकर समद्र तक का रास्ता नापती है, और जो रास्ते में कभी धीमी, कभी तेज़, कभी शांत, कभी विकट रूप लेते हुए, अपने गंतव्य तक पहुंचती है, बस यह कहानी भी कुछ इसी तरह आगे बढ़ती है। शुरू में कहानी नदी की तरह अपना रास्ता तलाशती हुई जहां आगे बढ़ती है, बीच बीच में वह कभी एकदम तेज़ हो जाती है और कहीं धीमी पड़ जाती है, पर अंत तक आते आते अपने साथ एक अलग किस्म का एहसास और तजुर्बा लाते हुए, अपनी मंज़िल तक पहुंच जाती है।
यूं तो मनोज जी ने लेखन प्रणाली से पाठक के रोमांच की रगों को बखूबी पकड़ा है। कहानी रोमांच, सस्पेंस और सशक्त किरदारों से भरपूर है। लेकिन कहानी में मुस्लिम किरदार बहुत अधिक है, यह इसकी परेशानी नहीं है, लेकिन इन किरदारों के नाम आपस में बहुत मिलते जुलते है, जिसकी वजह से पढ़ने में थोड़ी मुश्किल होती है और बीच बीच में कहानी के सिरे कहीं उलझे हुए लगते हैं। बाकि अगर पूरी किताब देखी जाए तो एक शानदार किताब है, जो मनोरंजन के लिए भरपूर है।
Thank you Writersmelon and author for the copy of the book in exchange of honest review.
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